(टाइम मोदी लीड) 'भारत को मुख्य रूप से बांटने' वाले नेता हैं मोदी


 


-अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका का सवाल - क्या दोबारा आएगा मोदी का 'टाइम'
-भारत की आर्थिक नीतियों और टैक्स सिस्टम को सुधारने के लिए की मोदी की तारीफ
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के अंतिम दो पड़ाव के पहले अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'टाइम' ने अपने कवर पृष्ठ पर विवादित शीर्षक के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जगह दी है। टाइम ने अपने ताजा अंक में मोदी को 'डिवाइडर इन चीफ' बताया है।


इसका हिन्दी में अर्थ 'भारत को प्रमुख रूप से बांटने वाला।' है। गौरतलब है कि टाइम पत्रिका का यह संस्करण 20 मई को जारी किया जाएगा। पत्रकार आतिश तसीर ने इस स्टोरी को लिखा है।


आतिश ने गुजरात के मुख्यमंत्री, जो मौजूदा समय में देश के प्रधानमंत्री हैं, का जिक्र करते हुए बताया है कि कैसे उन्होंने पिछले 30 साल में सबसे ज्यादा बहुमत हासिल कर सत्ता पर कब्जा जमाया। पत्रिका के एशिया संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीते 5 साल के कार्यकाल की कड़ी आलोचना की गई है। आलेख की शीर्षक है- 'क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार के पांच साल और सहन कर पाएगा?'


नेहरू, योगी का भी जिक्र किया
लेख में यह बात भी खिली गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं। वे भारत की जवाहरलाल नेहरू जैसी महान शख्सियत पर राजनीतिक हमले करते हैं। हिन्दू मुस्लिम भाईचारे को बढ़ाने के लिए नरेंद्र मोदी ने कोई भी इच्छा नहीं जताई। इसी के साथ लेखक ने 1984 सिख विरोधी दंगों और 2002 के गुजरात दंगों का भी जिक्र किया है। टाइम मैगजीन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी जिक्र किया।


कट्टरता पैदा करने के लिए पीएम को घेरा
टाइम ने भारत में कट्टरता भरे माहौल पैदा करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की सख्त आलोचना की है तो वहीं उनकी आर्थिक नीतियों की जमकर तारीफ भी की है। पत्रिका ने लिखा है कि मौजूदा परिस्थितियों में नरेंद्र मोदी भारत के लिए सर्वोत्तम उम्मीद हैं।


मोदी ही ला सकते हैं जरूरी बदलाव
राजनीतिशास्त्री इयान ब्रेमर ने अपने लंबे लेख में पीएम मोदी द्वारा शुरू की गई उज्जवला योजना, स्वच्छता अभियान, जीएसटी, जनधन योजना लागू करने के लिए पीएम मोदी की तारीफ की है। इस आलेख में कहा गया है कि पीएम मोदी ही भारत में जरूरी बदलाव लाने में सक्षम हैं।


जटिल टैक्स तंत्र को सुगम बनाया
जीएसटी का जिक्र करते हुए इयान ब्रेमर ने लिखा है कि मोदी सत्ता में आते ही समझ गए थे कि सरकार के पास खर्च करने के लिए ज्यादा राजस्व होना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 2017 में जीएसटी लागू किया और भारत के जटिल टैक्स तंत्र को सरल और सुगम बनाया। इससे टैक्स का दायरा बढ़ा और धोखाधड़ी से सरकारी तंत्र को होने वाले नुकसान में कमी आई।


बुनियादी जरूरतों में निवेश किया
सरकार ने देश की कभी खत्म न होने वाली बुनियादी जरूरतों में अभूतपूर्व निवेश किया। सड़कें, हाईवे, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और एयरपोर्ट से देश की दीर्घकालीन आर्थिक संभावनाओं में इजाफा हुआ। भारत के दूर-दराज इलाकों में बिजली पहुंची है, जिससे सामान्य जीवन स्तर में सुधार हुआ है। आर्थिक संभावनाएं बढ़ी है।


आधार की सफलता का जिक्र
टाइम ने आधार कार्ड की सफलता का जिक्र करते हुए कहा है कि इस प्रणाली की वजह से सरकार के पास अब एक अरब से ज्यादा लोगों का डेटा बेस तैयार है। 30 करोड़ ऐसे लोगों का सरकार ने जनधन योजना के तहत बैंक खाते खुलवाए गए जिनका आर्थिक समावेशन से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था।


इससे गरीब लोगों को सरकारी सब्सिडी मिलने में आसानी हुई। सरकार की इस पहल से ये सारे लोग अर्थव्यवस्था के चक्र में शामिल हुए। इससे सरकार की कल्याणाकारी योजनाओं में करोड़ों की धोखाधड़ी बंद हुई।


भारतीय राजनेताओं को हमेशा कम आंकते रही टाइम
...तब तब मनमोहन को अंडरअचीवर बताया था



वर्ष 2012 में टाइम ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अंडर अचीवर बताया था। इस पत्रिका ने प्रधानमंत्री की उपलब्धि को नाकाफी बताकर उनके कामकाज पर सवाल उठाये थे। उनकी नेतृत्व क्षमता पर भी कटाक्ष किया था।



मोदी को जानबूझकर नहीं बनने दिया पर्सन ऑफ इयर
टाइम ने सन 2014-15 में नरेंद्र मोदी को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में भी शामिल किया था। वर्ष 2016 में टाइम के 'पर्सन ऑफ द ईयरÓ में दुनियाभर तक मतदाताओं ने मोदी को सर्वाधिक वोट दियाथा।


उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप, हिलेरी क्लिंटन, बराक ओबामा, जुलयिन असांज और मार्क जकरबर्ग जैसी हस्तियों को पछाड़ा था। लेकिन पत्रिका के संपादकों ने अपने चयन में पाठकों के वोट को दरकिनार कर दिया था। इसलिए मोदी यह खिताब हासिल नहीं कर पाये।